International Journal of Leading Research Publication
E-ISSN: 2582-8010
•
Impact Factor: 9.56
A Widely Indexed Open Access Peer Reviewed Multidisciplinary Monthly Scholarly International Journal
Plagiarism is checked by the leading plagiarism checker
Call for Paper
Volume 6 Issue 11
November 2025
Indexing Partners
कौटिल्य के नगर नियोजन संबंधी विचारों की आधुनिक प्रासंगिकता
| Author(s) | सारंग चौधरी |
|---|---|
| Country | India |
| Abstract | कौटिल्य (चाणक्य) प्राचीन भारत के एक महान राजनीतिज्ञ चिंतक और दार्शनिक थे । उनकी पुस्तक "अर्थशास्त्र" न केवल राजनीति और अर्थव्यवस्था की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि नगर नियोजन को भी विस्तृत रूप से प्रस्तुत करती है । कौटिल्य के अनुसार नगरों को इस प्रकार बसाया जाना चाहिए कि वे सुरक्षा की दृष्टि से सुदृढ़ हों । नगर के चारों ओर ऊँची दीवारें होनी चाहिए ताकि बाहरी आक्रमणों से रक्षा हो सके । नगर की सड़कें चौड़ी और सुव्यवस्थित होनी चाहिए । मुख्य मार्ग राजमहल से बाजारों और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों तक जाते थे । नगर के केंद्र में राजा का महल और अन्य प्रशासनिक भवन बनाए जाने का निर्देश था, जिससे शासक जनता के संपर्क में रह सके । कौटिल्य ने नगर नियोजन में व्यापार को विशेष स्थान दिया । उन्होंने बाजारों को अलग-अलग भागों में बाँटने का सुझाव दिया, जैसे-कृषि उत्पाद, हस्तशिल्प, धातु कार्य, औषधियाँ आदि के लिए अलग-अलग बाजार हों । नगर में कुशल जल निकासी और सफाई व्यवस्था होनी चाहिए ताकि महामारी और गंदगी न फैले । सार्वजनिक कुएँ, तालाब और नहरों की उचित व्यवस्था पर बल दिया गया । नगर के विभिन्न वर्गों के लिए अलग-अलग आवासीय क्षेत्र निर्धारित किए गए । ब्राह्मणों, क्षत्रियों, वैश्यों और शूद्रों के लिए पृथक बस्तियों का उल्लेख अर्थशास्त्र में मिलता है । नगर में सैनिक छावनी, प्रहरी व्यवस्था और गुप्तचरों का मजबूत नेटवर्क होना चाहिए । कौटिल्य द्वारा प्रतिपादित नगर नियोजन न केवल प्राचीन भारत में कुशल प्रशासन का आधार था, बल्कि इसकी आधुनिक प्रासंगिकता भी अत्यंत महत्वपूर्ण है । आज के स्मार्ट सिटी और सस्टेनेबल अर्बन प्लानिंग की अवधारणाएँ कौटिल्य की नगर नियोजन नीतियों से मेल खाती हैं । आधुनिक शहरों में ट्रैफिक प्रबंधन, कौटिल्य (चाणक्य) प्राचीन भारत के एक महान राजनीतिज्ञ चिंतक और दार्शनिक थे । उनकी पुस्तक "अर्थशास्त्र" न केवल राजनीति और अर्थव्यवस्था की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि नगर नियोजन को भी विस्तृत रूप से प्रस्तुत करती है । कौटिल्य के अनुसार नगरों को इस प्रकार बसाया जाना चाहिए कि वे सुरक्षा की दृष्टि से सुदृढ़ हों । नगर के चारों ओर ऊँची दीवारें होनी चाहिए ताकि बाहरी आक्रमणों से रक्षा हो सके । नगर की सड़कें चौड़ी और सुव्यवस्थित होनी चाहिए । मुख्य मार्ग राजमहल से बाजारों और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों तक जाते थे । नगर के केंद्र में राजा का महल और अन्य प्रशासनिक भवन बनाए जाने का निर्देश था, जिससे शासक जनता के संपर्क में रह सके । कौटिल्य ने नगर नियोजन में व्यापार को विशेष स्थान दिया । उन्होंने बाजारों को अलग-अलग भागों में बाँटने का सुझाव दिया, जैसे-कृषि उत्पाद, हस्तशिल्प, धातु कार्य, औषधियाँ आदि के लिए अलग-अलग बाजार हों । नगर में कुशल जल निकासी और सफाई व्यवस्था होनी चाहिए ताकि महामारी और गंदगी न फैले । सार्वजनिक कुएँ, तालाब और नहरों की उचित व्यवस्था पर बल दिया गया । नगर के विभिन्न वर्गों के लिए अलग-अलग आवासीय क्षेत्र निर्धारित किए गए । ब्राह्मणों, क्षत्रियों, वैश्यों और शूद्रों के लिए पृथक बस्तियों का उल्लेख अर्थशास्त्र में मिलता है । नगर में सैनिक छावनी, प्रहरी व्यवस्था और गुप्तचरों का मजबूत नेटवर्क होना चाहिए । कौटिल्य द्वारा प्रतिपादित नगर नियोजन न केवल प्राचीन भारत में कुशल प्रशासन का आधार था, बल्कि इसकी आधुनिक प्रासंगिकता भी अत्यंत महत्वपूर्ण है । आज के स्मार्ट सिटी और सस्टेनेबल अर्बन प्लानिंग की अवधारणाएँ कौटिल्य की नगर नियोजन नीतियों से मेल खाती हैं । आधुनिक शहरों में ट्रैफिक प्रबंधन, स्वच्छता, जल आपूर्ति, और हरित क्षेत्रों के विकास की जो योजना बनाई जाती है, वह उनकी सोच के अनुरूप है । कौटिल्य ने नगरों की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए व्यापार और उद्योगों को बढ़ावा देने पर बल दिया था, जो आज की आर्थिक हब और इंडस्ट्रियल जोन की अवधारणा से मेल खाता है । इसके अलावा, उन्होंने नगरों में अपराध नियंत्रण और प्रशासनिक दक्षता के लिए विशिष्ट नीतियाँ अपनाने की बात कही, जो आज के शहरी शासन और सुरक्षा रणनीतियों के लिए प्रासंगिक हैं । कुल मिलाकर, कौटिल्य की नगर नियोजन नीतियाँ आज भी शहरी विकास और प्रशासन के लिए एक आदर्श मार्गदर्शक बनी हुई हैं । क्षेत्रों के विकास की जो योजना बनाई जाती है, वह उनकी सोच के अनुरूप है । कौटिल्य ने नगरों की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए व्यापार और उद्योगों को बढ़ावा देने पर बल दिया था, जो आज की आर्थिक हब और इंडस्ट्रियल जोन की अवधारणा से मेल खाता है । इसके अलावा, उन्होंने नगरों में अपराध नियंत्रण और प्रशासनिक दक्षता के लिए विशिष्ट नीतियाँ अपनाने की बात कही, जो आज के शहरी शासन और सुरक्षा रणनीतियों के लिए प्रासंगिक हैं । कुल मिलाकर, कौटिल्य की नगर नियोजन नीतियाँ आज भी शहरी विकास और प्रशासन के लिए एक आदर्श मार्गदर्शक बनी हुई हैं । |
| Keywords | कौटिल्य, नगर नियोजन नीतियाँ, शहरी, प्रशासन |
| Field | Arts |
| Published In | Volume 6, Issue 11, November 2025 |
| Published On | 2025-11-21 |
| Cite This | कौटिल्य के नगर नियोजन संबंधी विचारों की आधुनिक प्रासंगिकता - सारंग चौधरी - IJLRP Volume 6, Issue 11, November 2025. |
Share this

CrossRef DOI is assigned to each research paper published in our journal.
IJLRP DOI prefix is
10.70528/IJLRP
Downloads
All research papers published on this website are licensed under Creative Commons Attribution-ShareAlike 4.0 International License, and all rights belong to their respective authors/researchers.