International Journal of Leading Research Publication

E-ISSN: 2582-8010     Impact Factor: 9.56

A Widely Indexed Open Access Peer Reviewed Multidisciplinary Monthly Scholarly International Journal

Call for Paper Volume 6 Issue 11 November 2025 Submit your research before last 3 days of to publish your research paper in the issue of November.

स्त्री अस्मिता के परिप्रेक्ष्य में नारीवाद: अतीत, यथार्थ और संभावनाओं का एक विधिक अध्ययन

Author(s) अतुल कुमार यादव, प्रो० (डाॅ०) डी० पी० यादव
Country India
Abstract नारीवाद केवल एक विचारधारा नहीं, बल्कि मानव सभ्यता के विकासक्रम में अधिकार, अस्मिता और समानता की वह अनवरत पुकार है, जिसने सदियों की मौन पीड़ा को शब्द प्रदान किया। यह उस चेतना का उद्घोष है, जो सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक संरचनाओं में हाशिये पर रखी गई स्त्री के अस्तित्व को केंद्र में लाने का प्रयास करती है। “स्त्री अस्मिता” का अर्थ मात्र स्त्री का अस्तित्व या पहचान भर नहीं है, बल्कि यह उसकी चेतना, गरिमा, आत्मनिर्भरता और स्वत्व-बोध का समेकित स्वरूप है। यह उस मनुष्यत्व की पुनर्स्थापना है, जो पितृसत्तात्मक परंपराओं, रूढ़ियों और सामाजिक प्रतिबंधों के बीच दबा हुआ था। भारतीय विधि-तंत्र ने स्त्री अस्मिता की इस चेतना को संविधानिक आदर्शों, न्यायिक व्याख्याओं और विधिक सुधारों के माध्यम से सशक्त करने का सतत प्रयास किया है। संविधान के मौलिक अधिकारों में निहित समानता, स्वतंत्रता और गरिमा के सिद्धांत नारी के स्वत्व के विधिक संरक्षण के आधार बने हैं, वहीं न्यायपालिका ने अपने प्रगतिशील निर्णयों द्वारा नारी को न्याय, गरिमा और आत्मनिर्णय के अधिकार से संपुष्ट किया है। यह शोध-पत्र स्त्री अस्मिता की उस विकास-यात्रा का विधिक विश्लेषण प्रस्तुत करता है, जिसमें “अतीत” के संदर्भ में स्त्री की स्थिति को सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं ने परिभाषित किया, “वर्तमान” में भारतीय संविधान और न्यायपालिका ने उसे पुनः प्रतिष्ठित और संरक्षित किया, और “भविष्य” में वह स्वयं अपनी परिभाषा गढ़ने, अपने अधिकारों की संरचना करने और अपने अस्तित्व की स्वायत्तता स्थापित करने की दिशा में अग्रसर है। यह शोध नारी अस्मिता की उस सतत यात्रा का साक्षी बनने का प्रयास है, जो “अतीत की परंपरा” से “वर्तमान की पुनर्स्थापना” और “भविष्य की स्वतन्त्र परिभाषा” तक विस्तृत है।
Keywords नारीवाद, अस्मिता, विधि, समानता, न्यायपालिका, संविधान, नारी चेतना।
Field Sociology > Administration / Law / Management
Published In Volume 6, Issue 11, November 2025
Published On 2025-11-23
Cite This स्त्री अस्मिता के परिप्रेक्ष्य में नारीवाद: अतीत, यथार्थ और संभावनाओं का एक विधिक अध्ययन - अतुल कुमार यादव, प्रो० (डाॅ०) डी० पी० यादव - IJLRP Volume 6, Issue 11, November 2025.

Share this