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E-ISSN: 2582-8010     Impact Factor: 9.56

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आदिवासी कथा साहित्य में लोक-जीवन और सांस्कृतिक संघर्ष

Author(s) राजेश मीना
Country India
Abstract आदिवासी कथा साहित्य भारतीय साहित्य की वह महत्वपूर्ण धारा है, जिसमें आदिवासी समाज के लोक-जीवन, सांस्कृतिक परंपराओं और उनके संघर्षों का जीवंत चित्रण मिलता है। यह साहित्य न केवल आदिवासी समुदाय की मौखिक परंपराओं और लोक-कथाओं का संवाहक है, बल्कि उनके सामाजिक-सांस्कृतिक सरोकारों, जीवन-दृष्टि और अस्तित्व-संघर्ष को भी उजागर करता है। आदिवासी कथा साहित्य में प्रकृति से गहरे जुड़ाव, सामुदायिक जीवन, श्रम-संस्कृति, आस्था-विश्वास और पारंपरिक ज्ञान की झलक स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। किंतु आधुनिकता, शहरीकरण, भूमंडलीकरण और सांस्कृतिक वर्चस्व के प्रभाव से आदिवासी जीवन में एक गहरा सांस्कृतिक संघर्ष उत्पन्न हुआ है। उनके मूल्यों, भाषाओं, लोककला और परंपराओं के क्षरण की चिंता इस साहित्य में बार-बार उभरकर आती है। इस शोध-पत्र में आदिवासी कथा साहित्य में लोक-जीवन और सांस्कृतिक संघर्ष के विविध आयामों का अध्ययन किया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह साहित्य केवल मनोरंजन या लोककथाओं का संग्रह नहीं, बल्कि सांस्कृतिक अस्मिता और अस्तित्व की रक्षा का सशक्त दस्तावेज भी है। इस प्रकार आदिवासी कथा साहित्य हमें उनके अतीत, वर्तमान और भविष्य की दिशा को समझने का अवसर प्रदान करता है।
Keywords आदिवासी कथा साहित्य, लोक-जीवन, सांस्कृतिक संघर्ष, परंपरा, अस्मिता, लोककथाएँ, सामुदायिक जीवन।
Published In Volume 6, Issue 10, October 2025
Published On 2025-10-07
Cite This आदिवासी कथा साहित्य में लोक-जीवन और सांस्कृतिक संघर्ष - राजेश मीना - IJLRP Volume 6, Issue 10, October 2025.

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