International Journal of Leading Research Publication

E-ISSN: 2582-8010     Impact Factor: 9.56

A Widely Indexed Open Access Peer Reviewed Multidisciplinary Monthly Scholarly International Journal

Call for Paper Volume 6 Issue 12 December 2025 Submit your research before last 3 days of to publish your research paper in the issue of December.

भारत के निर्वाचनों में जनजाति-आधारित मतदान का विश्लेषण

Author(s) अमित बामनिया
Country India
Abstract जनजाति-आधारित मतदान का मतलब है कि मतदाता अपनी जनजाति के आधार पर किसी खास पार्टी या उम्मीदवार को वोट देते हैं । भारत में, यह चुनावी राजनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है, हालांकि हाल के वर्षों में इसमें कुछ बदलाव भी देखने को मिले हैं। लंबे समय तक यह माना जाता रहा है कि भारतीय मतदाता अपनी जाति या जनजाति के अनुसार मतदान करते हैं। राजनीतिक दल उम्मीदवार का चयन करते समय और रणनीति बनाते समय किसी निर्वाचन क्षेत्र की जनजातीय संरचना का ध्यान रखते हैं । अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित सीटों के कारण जनजातियों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिलता है। संविधान के तहत लोकसभा में 47 सीटें जनजातियों के लिए आरक्षित हैं। 2014 के बाद से, वर्ग-आधारित तत्वों का प्रभाव बढ़ने के कारण जाति और जनजाति के प्रभाव में कुछ कमी आई है। शहरीकरण भी मतदान पैटर्न को प्रभावित कर रहा है।जनजातियों के भीतर भी सामाजिक-आर्थिक भिन्नता हो रही है, जिससे मतदान पैटर्न पर असर पड़ रहा है। भारत निर्वाचन आयोग (ECI) के प्रयासों से, विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTG) सहित, जनजातीय समुदायों के मतदान में वृद्धि हुई है। उदाहरण के लिए, 2024 के आम चुनाव में अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के शोम्पेन जनजाति ने पहली बार मतदान किया ।
Keywords जनजाति-आधारित मतदान, अनुसूचित जनजाति, राजनीतिक दल, आरक्षित, भारत निर्वाचन आयोग, जनजातीय समुदायों, आम चुनाव, निर्वाचन क्षेत्र
Field Arts
Published In Volume 6, Issue 9, September 2025
Published On 2025-09-28
Cite This भारत के निर्वाचनों में जनजाति-आधारित मतदान का विश्लेषण - अमित बामनिया - IJLRP Volume 6, Issue 9, September 2025. DOI 10.70528/IJLRP.v6.i9.1773
DOI https://doi.org/10.70528/IJLRP.v6.i9.1773
Short DOI https://doi.org/g948rw

Share this