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समकालीन हिन्दी साहित्य में स्त्री जीवन और मैत्रेयी पुष्पा का कथा-साहित्य

Author(s) मंजुला शर्मा, प्रोफे. (डॉ.) दिग्विजय कुमार शर्मा
Country India
Abstract समकालीन हिन्दी साहित्य ने भारतीय समाज और संस्कृति के विविध पहलुओं को उजागर किया है, जिसमें स्त्री जीवन का चित्रण विशेष महत्व रखता है। समाज में स्त्री की स्थिति, उसके अधिकार, मानसिक संघर्ष और पारिवारिक एवं सामाजिक दबावों की झलक साहित्य के माध्यम से प्रभावशाली रूप में दिखाई देती है। साहित्य केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह समाज, संस्कृति, नैतिक मूल्यों और जीवन के विविध अनुभवों का दर्पण भी है। समकालीन हिन्दी साहित्य में स्त्री जीवन का अध्ययन समाज की वास्तविकताओं, मानसिक प्रक्रियाओं और सामाजिक संरचना के अध्ययन के लिए आवश्यक है। मैत्रेयी पुष्पा का जन्म 1944 में हुआ और उनके बचपन का पारिवारिक परिवेश, शिक्षा और सामाजिक अनुभव उनके साहित्यिक दृष्टिकोण को गहराई प्रदान करते हैं। पुष्पा की कहानियों और उपन्यासों में सामाजिक असमानताओं, मानसिक संघर्ष और स्त्री के अधिकारों के मुद्दों का प्रभावशाली चित्रण देखने को मिलता है। उनके पात्र पारिवारिक जिम्मेदारियों, विवाह, शिक्षा और सामाजिक अपेक्षाओं के बीच संतुलन बनाने का प्रयास करते हैं। यह दृष्टिकोण पुष्पा के साहित्य को अन्य समकालीन लेखकों से अलग और विशिष्ट बनाता है।
पुष्पा का कथा-साहित्य न केवल समाज में स्त्रियों की वास्तविकताओं को प्रस्तुत करता है, बल्कि यह मानसिक और भावनात्मक दृष्टि से भी पाठक को जोड़ता है। उनके पात्र मानसिक द्वंद्व, आत्म-साक्षात्कार और स्वतंत्रता की खोज के माध्यम से समाज और जीवन की जटिलताओं का सामना करते हैं। यह साहित्य समाज में स्त्री के अधिकारों, मानसिक स्वास्थ्य, शिक्षा और आत्मनिर्भरता के प्रति संवेदनशीलता उत्पन्न करता है। समकालीन हिन्दी साहित्य में स्त्री जीवन का चित्रण विभिन्न दृष्टियों से किया गया है। सामाजिक दृष्टि से, स्त्रियों को पारिवारिक और सामाजिक अपेक्षाओं का सामना करना पड़ता है। मानसिक दृष्टि से, उनके पात्र आंतरिक संघर्ष और भावनात्मक द्वंद्व से गुजरते हैं। सांस्कृतिक दृष्टि से, समाज की रूढ़िवादिता, परंपराओं और आधुनिकता के बीच संतुलन बनाने की चुनौती दिखाई देती है। पुष्पा की कहानियों और उपन्यासों में इन सभी दृष्टियों का सम्मिलित और प्रभावशाली चित्रण देखने को मिलता है।
Keywords समकालीन, स्त्री-संघर्ष, समाज, संस्कृति, उपन्यास, पंचायतीराज, स्त्री-सशक्तिकरण, कथा-साहित्य, सामंतवाद, स्त्री-शोषण...आदि।
Published In Volume 5, Issue 1, January 2024
Published On 2024-01-05
Cite This समकालीन हिन्दी साहित्य में स्त्री जीवन और मैत्रेयी पुष्पा का कथा-साहित्य - मंजुला शर्मा, प्रोफे. (डॉ.) दिग्विजय कुमार शर्मा - IJLRP Volume 5, Issue 1, January 2024.

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