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E-ISSN: 2582-8010
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Volume 6 Issue 7
July 2025
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महात्मा गांधी का स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान
Author(s) | मुकेश कुमार मीणा |
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Country | India |
Abstract | गांधीजी के नेतृत्व का प्रमुख घटक था, उनकी दूरदृष्टि। वह दृष्टि, जो ईश्वर की सर्वोत्तम रचना अर्थात मनुष्य को सत्य, न्याया, प्रेम और अहिंसा का दृढ़ता से पालन करते हुए, सद्भाव व शान्ति से रहने की क्षमता दे सकती है। ‘‘अहिंसा हमार जातिगत नियम है, ठीक उसी तरह जैसे हिंसा पशु का नियम है। पाश्विक व्यक्ति की अंतरात्मा प्रसुप्त होती है, वह बल प्रयोग के अतिरिक्त और कोई भी नियम नहीं जानता। मानव की गरिमा उसे एक अन्य नियम का पालन करने के लिए प्रेरित करती है- वह है अंतारात्मा का नियम। मानव जाति पर प्रेम का नियम ही राज्य कर सकता है। यदि हम पर हिंसा अर्थात घृणा का राज्य होता तो हम बहुत पहले ही विलुप्त हो चुके होते। मानव जाति को केवल अहिंसा के मार्ग पर चल कर ही हिंसा से छुटकार मिल सकता है, घृणा पर केवल प्यार द्वारा विजय पाई जा सकती है।‘‘ अपने अनुभवों के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में उन्होंने यह अनुभव किया कि तानाशाहों और आतताइयों की ओर लोगों का भयवश झुकाव अल्पकालीन होता है। वे सारे साम्राज्य, जो तलवार की नोक पर कायम किए जाते हैं, अंततः इतिहास की धूल में लुपत हो जाते हैं। केवल वे साम्राज्य जो सच्चाई, प्रेम और बड़े मनीषियों, भविष्यदृष्टा, पीर-पैगम्बर, साधु-संतों के आत्म-त्याग द्वारा स्थापित हुए, वे ही बचे रहे और समृद्ध भी हुए। क्योंकि मानव ‘ईश्वर की दृष्टि‘ द्वारा निर्मित रचना है और सभी उस ‘दैवी स्फुलिंग‘ से ओत-प्रोत हैं, अतः उनका नेतृत्व सत्य एवं प्रेम से होना चाहिए, न कि भय और घृणा से। हमें सत्य के लिए ही जीना और आवश्यकता पड़ने पर सत्य के लिए ही जान देने को तत्पर रहना चाहिए, किन्तु किसी को भी चोट पहुंचाना या मारना नहीं चाहिए। |
Keywords | . |
Field | Arts |
Published In | Volume 6, Issue 5, May 2025 |
Published On | 2025-05-08 |
Cite This | महात्मा गांधी का स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान - मुकेश कुमार मीणा - IJLRP Volume 6, Issue 5, May 2025. |
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10.70528/IJLRP
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