International Journal of Leading Research Publication

E-ISSN: 2582-8010     Impact Factor: 9.56

A Widely Indexed Open Access Peer Reviewed Multidisciplinary Bi-monthly Scholarly International Journal

Call for Paper Volume 6 Issue 4 April 2025 Submit your research before last 3 days of to publish your research paper in the issue of April.

"चीफ की दावत" कहानी में वृद्धावस्था विमर्श

Author(s) Gopal Lal Dheru
Country India
Abstract भारतीय समाज में बुजुर्गों का बहुत सम्मानजनक स्थान हमेशा से रहा है। परिवार में कोई भी निर्णय बगैर उनकी सहमती से नहीं लिया जाता था। बच्चे अपने से बड़ों का मान रखते थे । परंतु समयस्रोत में मनुष्य समाज इतना आगे चला जा रहा कि उसके लिए रिश्तों का कोई मोल नहीं रह गया। अपनी माता-पिता तक को बच्चे एक अपदार्थ समझते हैं, जिसकी वजह से आज हमारे समाज में वृद्धावस्था जनित समस्याएं सामने प्रतिफलित हो रहे हैं। उत्तर आधुनिकतवाद में एक अच्छी चीज यह हुई कि लोगों का ध्यान हाशियाकृत समाज पर पड़ा । अतः विविध विमर्श का प्रचलन साहित्य में होने लगा। ऐसे में समाज के हाशिए पर स्थित बुजुर्गों को लेकर विश्व साहित्य में वृद्ध-विमर्श का आंदोलन चल पड़ा। इससे प्रभावित हिंदी के कई सारे कहानीकार हुए उनमें से भीष्म साहनी अग्रणी है। ’चीफ की दावत’ कहानी में भीष्म साहनी ने साहित्यिक मूल्यों के माध्यम से सामाजिक तथा पारिवारिक अहमियता का चित्रण किया है। परिवर्तित समाज में लोगों के हृदय से जो संवेदना, नैतिकता तथा पारिवारिक एकता के महत्व का ह्रास हो रहा है, इसका प्रत्यक्ष प्रभाव केवल भारतीय ही नहीं बल्कि वैश्विक समाज में अपने अंतिम समय में परिवार के साथ सुखद जीवन जीने की कल्पना करनेवाले वृद्धों पर पड़ रहा है। जिस भारतवर्ष ने कभी पूरे विश्व को श्रवण कुमार, प्रभु श्रीराम, जैसे चरित्रों के माध्यम से बुजुर्गाे तथा माता-पिता की सेवा को सर्वाेपरि मानने की सीख दी है, आज उस देश में पाश्चात्य सभ्यता के अंधी दौड़ से प्राभावित शामनाथ जैसे इंसान की वजह से वृद्धाश्रमों में बुजुर्गों की तादात बढ़ रही है। वर्तमान समय में शामनाथ जैसे संतान वृद्ध माता-पिता को अपनी स्वार्थ पूर्ति का साधन मान रहे हैं। आज स्थिति ऐसी हो गयी है कि पूरे विश्व के बुजुर्गों को अपने ही संतानों के कुकृत्य की वजह से प्रताड़ित होना पड़ रहा है। वे लोग उनके साथ एक ही छत के नीचे रहने के लिए संकोच महसूस कर रहे हैं। परिणामस्वरूप वे बुजुर्ग वेसहारा बनकर श्वृद्धाश्रमश् अथवा तीर्थयात्रा का रुख अपना रहे हैं। कभी-कभी परिस्थिति इतनी असह्य हो जाती है कि वे अपने प्राण तक त्याग ने को संकोच नहीं करते हैं। समाज में वृद्ध विमर्श जैसी समस्या को ध्यान में रखकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में व्यक्तित्व के समग्र विकास और चरित्र निर्माण पर जोर दिया गया है।
Keywords वृद्ध विमर्श, हाशियाकृत समुदाय, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, अंतर पीढ़ी संबंध, पुनर्वास, मानवीय मूल्य, भूमंडलीकरण, उत्तर आधुनिकतावाद, रामायण
Field Arts
Published In Volume 6, Issue 1, January 2025
Published On 2025-01-20
Cite This "चीफ की दावत" कहानी में वृद्धावस्था विमर्श - Gopal Lal Dheru - IJLRP Volume 6, Issue 1, January 2025.

Share this